आज मैं आपको गंगा नदी पर निबंध बताऊंगा यह निबंध किसी भी कक्षा के छात्र को पढ़ा सकते हैं और यह निबंध आसान भाषा में हिंदी में लिखी गई है तो चलिए हम गंगा नदी पर निबंध पड़ते हैं। (ganga nadi par nibandh)
विषय सूची
गंगा नदी पर निबंध

प्रस्तावना
गंगा नदी एक महान नदी है हम सभी ने कभी गंगा नदी को देखा ही होगा और इसके बारे में सुना होगा गंगा नदी एक बहुत ही पवित्र नदी माना जाता है हिंदू धर्म में गंगा नदी को पूजा जाता है हिंदू धर्म के अनुसार गंगा नदी में सच्चे मन से स्नान करने से आदमी पवित्र हो जाता है।
गंगा नदी
गंगा नदी एक बहुत बड़ी नदी है इसमें का पानी बहुत ही शुद्ध होता है लेकिन आज हम इंसान गंगा नदी को भी साफ नहीं रहने देते हैं गंगा नदी में फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी भी डाला जाता है जिससे गंदा पानी साफ पानी में मिलकर खराब कर देता है सरकार भी गंगा नदी को साफ रखने की कोशिश कर रही है।
मैंने गंगा नदी में स्नान भी किया है मेरे माता और पिता ने मुझे कई बार गंगा नदी में स्नान कराने के लिए ले गए थे वहां पर बहुत सारे लोगों की भीड़ थी जो गंगा नदी में स्नान करके उनकी पूजा कर रहे थे मेरे माता पिता ने भी गंगा नदी में स्नान किया और पूजा करके प्रसाद ग्रहण किया और घर चले आए।
गंगा नदी की धारा
गंगा नदी महान हिमालय के गंगोत्री नाम के स्थान से निकलती है और गंगा नदी को अलकनंदा नदी में मिलने से पहले भागीरथ नदी कहा जाता है और हिमालय से निकलने के बाद उत्तराखंड के देवप्रयाग शहर के पास में अलकनंदा नाम के नदी मिलती है।
उसके बाद हरिद्वार में आकर गंगा नदी मैदान में प्रवेश कर जाती हैं फिर इसके बाद प्रयागराज में आकर गंगा नदी और यमुना नदी का संगम होता है इसीलिए प्रयागराज को संगम नगरी भी कहते हैं और यहां पर पूरे पृथ्वी का सबसे बड़ा मेला लगता है। इसके बाद गंगा नदी की धारा चौसा के पास बिहार में प्रवेश करती हैं।
इसके बाद गंगा नदी कटिहार जिले को पार करते हुए झारखंड से पश्चिम बंगाल पहुंच जाती हैं। बंगाल पहुंचने के बाद वहां से ब्रह्मपुत्र नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती हैं। गंगा नदी भारत के सबसे लंबी नदी है इस नदी की लंबाई 2704 किलोमीटर है।
गंगा नदी का इतिहास
हिंदू कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने विष्णु जी के पसीनो से गंगा जी का निर्माण किया फिर उसके बाद दिलीप के पुत्र भागीरथ ने अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार करने के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की और गंगा जी को धरती पर प्रकट किया। फिर उसके बाद महाराजा भागीरथ पृथ्वी पर जिस तरफ से चलते चले गए गंगा नदी उसी तरफ से बहती चली गई।
गंगा नदी की पवित्रता
गंगा नदी इतना पवित्र है कि अगर आप किसी साधारण जल को गंगा नदी के जल के साथ किसी बोतल में भर कर रख दें तो आप देखेंगे कि साधारण जल खराब होता चला जाएगा लेकिन गंगा नदी का जल वैसा का वैसा ही रहेगा यह चीज मैंने खुद देखा है। और विज्ञान भी यह मानता है कि गंगा नदी का पानी बहुत ही पवित्र है इससे हमारे शरीर के कई रोगों को दूर किया जा सकता है।

गंगा नदी की विशेषता
गंगा नदी का जल सबसे ज्यादा किसी पूजा में या हवन में उपयोग किया जाता है हमारे घर पर भी जब पूजा की जाती है तो गंगाजल जरूर रखा जाता है।
गंगा नदी का महत्व
गंगा नदी का कृषि में भी बहुत बड़ा योगदान है जैसा कि गंगा नदी को अमृत माना जाता है उसी तरह किसानों के लिए गंगा नदी अमृत के ही समान है क्योंकि गंगा नदी कई शहरों से गुजरती हैं जहां पर पानी की संकट रहती है लेकिन गंगा नदी के होने के कारण वहां पर पानी की संकट दूर हो जाती है।
गंगा नदी का बचाव
गंगा नदी जब हिमालय से निकलती है तो वहां पर गंगाजल बिल्कुल शुद्ध होता है लेकिन हम इंसानों के लापरवाही से गंगा नदी दूषित हो जाती हैं क्योंकि इसमें लोग गंदे कपड़े बोलते हैं जानवरों को नहीं लाते हैं और उससे भी बड़ी गलती गंदे पानी और कचरे को इसी में गिराते हैं, हमें ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हमारी सभ्यता धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी और पानी का संकट भी बढ़ जाएगा।
उप संहार ( निष्कर्ष)
गंगा नदी से सभी लोग नहाने के बाद वहां का पानी भरकर अपने घर पर भी लाते हैं और जो लोग किसी भी देवी देवताओं की पूजा करते हैं उसमें गंगाजल का इस्तेमाल जरूर किया जाता है किसी भी त्यौहार पर जब पूजा की जाती है तो हमारे घर में गंगाजल को जरूर रखा जाता है हमारे जीवन में गंगाजल का बहुत बड़ा महत्व है अगर यह नहीं होती तो बहुत से लोग बीमार रहते हैं और पानी के बिना जीना मुश्किल हो जाता। ( गंगा नदी पर निबंध समाप्त) (800 शब्द)